Acharya Sunil - Specimen Paper Flashcards
(17 cards)
यज्ञ शब्द पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
यज्ञ संस्कृत के “यज” शब्द से बना है, जिसका अर्थ है “पूजा”।
यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म
- शतपथ ब्राह्मण
यज्ञ संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है।
ईजानाः स्वर्गं यन्ति लोकम्।। (-अथर्ववेद १८.४.२)
यज्ञकर्त्ता स्वर्ग (सुख) को प्राप्त करते है ।
यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने और समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
यज्ञों में वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो दिव्य ध्वनि उत्पन्न कर जीवन को संतुलित और उन्नत करते हैं।
यज्ञ में आहुति के रूप में घी, अनाज, दूध आदि का उपयोग किया जाता है।
यज्ञ का अर्थ केवल अग्नि में आहुति देना नहीं है। यह वैदिक विधि के अनुसार भगवान को संतुष्ट करने के लिए किया जाने वाला कर्म है।
यज्ञ विष्णु का प्रतीक है, जैसा कि वेदों में कहा गया है: “यज्ञो वै विष्णुः।”
कर्मों की शुद्धि और आध्यात्मिक प्रेरणा के लिए भी होता है।
यज्ञ के माध्यम से देवताओं (देवी-देवताओं) को संतुष्ट किया जाता है, जो प्रकृति के विभिन्न तत्वों के प्रबंधक हैं।
यज्ञ का लाभ यह है कि यह भौतिक बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाता है, मनुष्य ko ईश्वर के प्रति जागरूक बनाता है।
यज्ञ के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
हवन
Homa
आचमन का अर्थ क्या है?
1) शुद्धि के लिए थोड़ी मात्रा में Shudh जल पीना
2) Aatma ko tripta karna
यज्ञ में कैसे और कितनी बार आचमन का विधान है?
यज्ञ में आचमन का विधान शुद्धि के लिए होता है। इसे तीन बार किया जाता है
Dayi Haath mein Aachamani mudra mein 3 baar jal grahan karte hein.
Aum Amrito Pastarnamasi Swaha
Aum Amrita Pidhanamasi Swaha
Aum Satyam Yashah Shrihi Shrayataam swaha
हवन में अंगस्पर्श का अभिप्राय क्या है?
हवन में अंगस्पर्श का अर्थ है शरीर के विशिष्ट भागों को छूकर उन्हें शुद्ध और पवित्र बनाना। इसका उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धता के साथ दिव्य ऊर्जा को जागृत करना है।
किन-किन अंगों को जल से स्पर्श करने का विधान है? क्रम से अंगों का नाम लिखिए।
मुख (मुंह)।
Naakh (nose)
नेत्र (आंखें)।
कर्ण (कान)।
Bujha (Shoulder)
Ghutna (knee)
Anga Pratyanga (every other parts)
हवन में किन महत्वपूर्ण चीजों की आवश्यकता होती है?
हवन कुंड।
अग्नि ke liye diya salaai
हवन Ghi aur सामग्री। Samidha ke Kaashta
मंत्रों का उच्चारण।
जल पात्र। (Lota)
Thaali , Chamach, Katori
कुशा या आसन।
सायंकालीन और प्रातहाकालीन के प्रथम मंत्र क्रम से इस प्रकार होते हैं:
प्रात:कालीन मंत्र:
“ॐ सूर्यो जोति: जोति: सूर्य: स्वाहा।”
(यह प्रात: काल में सूर्य को अर्घ्य देने और उनके तेज का आह्वान करने के लिए उच्चारित किया जाता है।)
सायंकालीन मंत्र:
“ॐ अग्निरजोति: जोति: रग्निहि स्वाहा।”
(यह मंत्र सायं समय में अग्नि के आह्वान के लिए किया जाता है।)
दीप प्रच्वलन किस मंत्र से करना चाहिए?
“ॐ भूर भुवः स्वः।”
इस मंत्र का अर्थ है:
भूर: पृथ्वी,
भुवः: आकाश,
स्वः: स्वर्ग,
जो तीनों लोकों की शुद्धि का प्रतीक है।
यग्य समिधा पर प्रकाश डाली।
समिधा की परिभाषा:
यज्ञ में जिन लकड़ियों का उपयोग किया जाता है, उन्हें समिधा कहते हैं।
लोकप्रिय समिधाएँ:
आम और चंदन की लकड़ी को समिधा के रूप में सर्वमान्य माना गया है।
समिधा की विशेषताएँ:
समिधा किटाणुरहित (बिना कीड़े) और गंदगी से मुक्त होनी चाहिए।
लकड़ी शुद्ध, हल्की, और सूखी हो।
जलने पर अधिक धुआं न दे।
जलने के बाद सीधे राख में बदल जाए।
लकड़ी का मोटापन अंगूठे से अधिक मोटा न हो।
Dimensions: ashta angul
संग्रह और उपयोग:
समिधा को हमेशा शुद्ध पात्र में रखना चाहिए।
यह कुंड के आकार के अनुसार छोटी होनी चाहिए।
हवन में कितनी समिधाओं को मन्त्रपूर्वक आग्हान करना चाहिए।
3
Chaar prakar ke hom dravya ke naam kram se likhiye
1) Sugandhit - elaiti, jayaphal, kasturi, kesar
2) Pushtikaarak - Ghi, Dudh, Phal
3) Mishtakaarak - Shakkar, Kishmish
4) Rognaashak - Giloye, Tulsi
“Isht” aur “Purta” - Explain these 2 words
इष्ट: वेद-विहित यज्ञ आदि कर्म और विद्वानों का सत्कार (संगति करना)।
पूर्त: अन्नदान, धनदान, धर्मशाला आदि स्थानों का निर्माण।
जल Prasechan प्रकरण में क्रमशः किन मुख्य दिशाओं में जल का प्रयोग करना चाहिए?
1) Purva disha mein: Daksheen se Outtar ki aur
2) Pashchim disha mein Daksheen se Outtar ki aur
3) Outar disha mein Paschchim se Purva ki aur
4) Daksheen disha mein Purva se kunda ke chaaron aur
Aaghara Vajya Bhagahuti ke 4 Mantras likhkar, mantra ke ant mein dishaon ke naam likhiye
1) Aum agnaye swaha. Idam agnaye idam na mama. In the North Direction from west to east
2) Aum somaya swaha. Idam somaya idam na mama. In the South direction, from west to east
3) Aum Prajaapataye swaha. Idam prajaapataye idam na mama. In the middle
4) Aum indraya swaha. Idam indrayaa idam na mama. In the middle
Give the meaning of the words
1) Idam na mama: yaha mera nahin. yaha aapka hein
2) Shaakalya - Samagri
3) Hawi - Aahuti (samagri + ghi)
4) Bhu - Praan dene wala
5) Bhwaha - Dukh se rahit, sab sukhon dene wala
6) Swaha - Sarvayaapi ishwar. Sukhpradaan karne wala
7) Ghrit - pighla ghi = aajya
8) Sthaalipaak - bhaat, khichri, laddoo. mohan bhog
9) ashtaangul - aath oungli ki lambaai
Khaali sthaanon ki purti kijiye
Aum Amrito Pastar namasi swaha
Aum Satyam yashaha shrirmayi shriha shrayataam swaha.
Aum Swara dityaya vyanaya swaha. Idam aadityaya vyanaya idam na mama.