Page 39-42 Flashcards
(53 cards)
सर्ववहा संज्ञा -
जीवनसाक्षिणी संज्ञा -
सर्ववहा संज्ञा - सिरा की
जीवनसाक्षिणी संज्ञा - धमनी की
मूत्रमार्गगत शल्य निर्हरणार्थ यंत्र -
सुश्रुत –
वाग्भट -
सुश्रुत – बडिश
वाग्भट - सर्पफण मुख
मूढगर्भ की गति -
मूढगर्भ के भेद -
मूढगर्भ की गति - 8
मूढगर्भ के भेद - 4
बालग्रह -
चरक - वर्णन नही,
सुश्रुत - 9
हारीत 8
काश्यप - 10
वाग्भट, भावप्रकश योगरत्नाकर च माधन
12
त्रिरात्रं परमं तस्य जन्तोभर्वति जीवति “कथन का संदर्भ है-
चरक - रोहिणी
काश्यप - कूटपाकल सन्निपात हेतु
माधवकर - त्र्याहात जीवितं भैषज्यं - शंखक हेतु
नैत्र मण्डल -
सुश्रुत 5, वाग्भट - 4
नाभि व हृदय के मध्य गौपुच्छवत उभार ?
नाभि के नीचे गौपुच्छाकार उभार परिस्राव्युदर (छिद्रोदर) का लक्षण?
नाभि व हृदय के मध्य गौपुच्छवत उभार - बद्धगुदोदर का लक्षण
नाभि के नीचे गौपुच्छाकार उभार - परिस्राव्युदर (छिद्रोदर) का लक्षण
मुष्कवत” आकृति -
“अलाबूवत” आकृति -
मुष्कवत” आकृति - गलगण्ड का सामान्य लक्षण
“अलाबूवत” आकृति - मेदोज गलगण्ड का लक्षण
आध्मान में चिकित्सा -
प्रत्याधमान में चिकित्सा -
आध्मान में चिकित्सा - फलवर्ति
प्रत्याधमान में चिकित्सा - वमन
कर्म
नूतन गुग्गुलु -
पुराण गुग्गुलु –
नूतन गुग्गुलु - मांस व वीर्यवर्धक
पुराण गुग्गुलु – मांस व वीर्यक्षपण करने वाली
कर्म
अभ्यंग -
उद्वर्तन -
अभ्यंग - कफवात शामक
उद्वर्तन - कफ मेदो विम्लापक
औषधीनां पति -
औषधाधिपती -
औषधीनां पति - सोम
औषधाधिपती - चन्द्रमा
स्पर्शाज्ञत्वमतिस्वेदो न वा -
स्वेदोऽत्यर्थ न वा कार्णीयं स्पर्शाज्ञत्वं -
स्पर्शाज्ञत्वमतिस्वेदो न वा -
कुष्ठ का पूर्वरूप
स्वेदोऽत्यर्थ न वा कार्णीयं स्पर्शाज्ञत्वं -
- वात रक्त का पूर्वरूप
स्पर्शघ्नानाम् -
उदरामय -
स्पर्शघ्नानाम् - कुष्ठ
उदरामय - अतिसार
समुत्पत्तौ विज्ञेया सप्त धातवः -
सप्तकौ द्रव्य संग्रह -
समुत्पत्तौ विज्ञेया सप्त धातवः - विसर्प
सप्तकौ द्रव्य संग्रह - कुष्ठ
चरक ने भृष्ट मृत्तिका का वर्णन किया है-
पुरीषविरजनीय महाकषाय में
जम्बुपत्र, आम्रपल्लव, लाजा, मृत्तिका व अनार का वर्णन है -
छर्दि निग्रहण महाकषाय में
गैरिक व मृत्तिका के कपाल का वर्णन है?
शोणितस्थापन महाकपाय में
कर्णक्ष्वेड लक्षण -
सुश्रुत - अतीवक्ष्वेड
अन्यत्र - वेणुघोषोपमम स्वन् (वात पित्त)
कर्णनाद लक्षण -
सुश्रुत - श्रृणोति शब्दान विविधान
अन्यत्र - भेरी, मृदंग, शंखानां (वातज)
सर्वगात्रप्रकम्पिनी लक्षण –
विप्लूताक्ष लक्षण –
सधः प्राणहरा मताः -
प्राणान्तिकी मताः -
प्राणोपरोधिनी -
सर्वगात्रप्रकम्पिनी लक्षण – महाहिक्का का
विप्लूताक्ष लक्षण – व्यपेता हिक्का का
सधः प्राणहरा मताः - महाहिक्का का
प्राणान्तिकी मताः - गम्भीरा का
प्राणोपरोधिनी - व्यपेता हिक्का
कपोत इव कूजन लक्षण है -
पारावत इव कूजन लक्षण है -
कपोत इव कूजन लक्षण है - अपतंत्रक का
पारावत इव कूजन लक्षण है - क्षतज कास
संसर्जन क्रम मे देय आहार का क्रम -
पेया → विलेपी→ अकृत यूष → कृत यूष → अकृत मांसरस → कृत मांस रस
संसर्जन मे देय रसो का क्रम -
स्निग्ध, अम्ल व मधुर → अम्ल, लवण → मधुर, तिक्त → कषाय, कटु