Page 48-51 Flashcards
(20 cards)
समवायि” शब्द - ___ की परिभाषा में है।
समवायी शब्द - ___ की परिभाषा में है
समवायि” शब्द - दव्य की परिभाषा में है।
समवायी शब्द - गुण की परिभाषा में है
प्रकीर्या -
उदकीर्या -
प्रकीर्या - लताकरंज
उदकीर्या - डिठौरी
ग्राही द्रव्य – वीर्य रस दोष महाभूत उदाहरण
स्तम्भन दव्य –
ग्राही द्रव्य – उष्णवीर्य, कटु रस प्रधान, वातशामक व अग्नि महाभूत प्रधान होते है यथा शुण्ठी व जीरक
स्तम्भन दव्य – शीतवीर्य, कषाय रूस प्रधान व वातवर्धक होते है।
सुखविरेचक / अनुलोमन -
मृदुविरेचक / संसन-
तीक्ष्ण विरेचक / भेदन -
सुखविरेचक / अनुलोमन - अपक्व मल की प्रवृत्ति नहीं करवाते है -हरीतकी, त्रिवृत
मृदुविरेचक / संसन-पक्व व अपक्व मल की प्रवृत्ति होती है - आरग्वध
तीक्ष्ण विरेचक / भेदन - कुटकी, जयपाल
अरिष्ट रूप में प्रवृत्त निद्रा
तमो रूप में प्रवृत्त निद्रा -
अरिष्ट रूप में प्रवृत्त निद्रा आगन्तुकी
तमो रूप में प्रवृत्त निद्रा - तमोभवा
______ को संतर्पणोत्थ एवं अपतर्पणोत्थ दोनों व्याधियों में रखा गया है।
मूत्रकृच्छ्र व अरोचक
____ में रूक्ष व स्निग्ध तथा स्थिर व सर दोनों गुण उपस्थित होते हैं।
स्वेदन द्रव्यों
दीपन, पाचन + आनाहप्रशमन –
+ अर्शोघ्न –
+ संग्राहक -
+ दाहप्रशमक, छर्दि व
अतिसारनाशक –
+ सर्वदोषहर -
दीपन, पाचन + आनाहप्रशमन – पिपरामूल
+ अर्शोघ्न – चित्रक
+ संग्राहक - नागरमोथा, सोनापाठा
+ दाहप्रशमक, छर्दि व अतिसारनाशक – सुगंधबाला
+ सर्वदोषहर - अतिविषा
संग्राहक, वातहर, वृष्य –
संग्राहक, सर्वदोषहर, वृष्य –
संग्राहक, वातहर, वृष्य – पृश्निपर्णी
संग्राहक, सर्वदोषहर, वृष्य – शालपर्णी
आमदोष वर्धक -
अजीर्णोत्पादक -
आमदोष वर्धक - अतिमात्राशन
अजीर्णोत्पादक - गुरू भोजन
आयुह्यासकर -
आयुनाशन –
आयुह्यासकर - अनशन
आयुनाशन – परदाराभिगमन
वृंहण -
तर्पण -
वृंहण - मांस
तर्पण - मांसरस
तृप्तिकर -
पुष्टिकर -
तृप्तिकर - हर्ष
पुष्टिकर - निवृत्ति
सुखकारक -
आरोग्यकर-
शरीरकर्षक -
सुखकारक - एक काल भोजन
आरोग्यकर- यथा काल भोजन
शरीरकर्षक - प्रमिताशन
श्लेष्मपित्त प्रशमन
पित्त श्लेष्म प्रशमन
श्लेषमपित्त जनन -
श्लेष्मपित्त प्रशमन मधु
पित्त श्लेष्म प्रशमन दुरालभा
श्लेषमपित्त जनन - आविदुग्ध, शष्कुली व माष
परिहार विरुद्ध है
उपचार विरुद्ध है
परिहार विरुद्ध है
सूअर के मांससेवनोपरान्त उष्ण जल रोयन
उपचार विरुद्ध है
घुत्तरोवनोपरान्त शीतल जल सेवन
अन्नक्लेदक -
कफक्लेदक
अन्नक्लेदक - जल
कफक्लेदक - लवण
आद्र्य पिप्पली - कफकारक
शुष्क पिप्पली कफवात शामक
आद्र्य पिप्पली - कफकारक
शुष्क पिप्पली कफवात शामक
दातानुलोमक - नमक
त्रिदोष शामक - नमक
दातानुलोमक - विड् नमक
त्रिदोष शामक - सैंधव नमक
संख्या संप्राप्ति -
विधि संप्राप्ति -
संख्या संप्राप्ति - अन्वय रहित होती है
विधि संप्राप्ति - अन्वय युक्त होती है