Page 6-9 Flashcards
(56 cards)
आर्तव दोष -
8
(V P K R( कुणपगांधी), ग्रंथि, पुतीपूय, क्षीण, मूत्र पुरीष रेतास)
औषध काल -
चरक 10
सुश्रुत - 10
वाग्भट - 11(संग्रह)
(निशी को अतिरिक्त मौना है)
अ०६०=10
शार्गधर - 5.
काश्यप - 10
अष्टांग हृदय औषधि सेवन काल
1 अनन्त
2 अन्नादौ 3 मध्ये 4 अन्ते
5 कवलान्तर
6 ग्रास ग्रास
7 मुहुः मुहुः
8 साअन्न
9 समुदुग
10 निशि
अष्टांग संग्रह औषधि सेवन काल
1आभक्त
2प्रभक्त
3मध्यभक्त
4अधोभक्त
5सभक्त
6अंतरभक्त
7समुदक
8मुहू मुहू
9सगरस
10ग्रासअंतर
11निशि
चरक औषध सेवन काल
च ची 30
1 प्रातः
2 अदो
3 मध्य
4 प्रातः भोजन के बाद
5 सायं भोज के बाद
6 सगास
7 ग्रासन्तर
8 मुहु मुहु
9 सामुद्ध
10 भक्त संयुक्त
शरीर की लम्बाई -
चरक - 84 अंगुल,
सुश्रुत - 120 अंगुल
अष्टांग संग्रह - 84 अंगुल,
अष्टांग हृदय 3½ हाथ
क्षौरकर्म (nail hair cutting)
चरक, सुश्रुत व वाग्भट –
पक्ष में तीन बार करवाने का निर्देश
क्षारपाणि - तीन मास में एक बार करवाने का निर्देश
रोगज्ञानोपाय -
चरक - 3 (प्रत्यक्ष, अनुमान व आप्तोपदेश)
सुश्रुत 6- (पंचभि श्रोतादिभि प्रश्नेनच)
यन्त्र संख्या
सुश्रुत 101
वाग्भट - 116 या असख्य
यंत्र नाम भेद total
सुश्रुत। चरक। प्रमाण
स्वस्तिक। 24 24। 18
संदंश। 2 4 । 18
ताल 2 2 । 12
नाडी 20 23। आवश्यकतानुसार
शलाका। 28 34 आवश्यकतानुसार
उपयंत्र 25 29 आवश्यकतानुसार
Total। 101 116
शस्त्र संख्या -
सुश्रुत - 20
वाग्भट – 26
(सुश्रुतोक्त 20 + कर्णवेधन, खज, कूर्च, सर्पमुख, लिंगनाशवेधनी व कर्त्तरी)
शास्त्र कर्म संख्या नाम
सुश्रुत-20-
मण्डलाग्र, करपत्र, वृद्धिपत्र, नखशस्त्र, मुद्रिका, उत्पलपत्र, अर्धधार, सूची, कुशपत्र, आटीमुख, शरारीमुख, अन्तमुख, त्रिकूर्चक, कुठारिका, व्रीहिमुख आरा, वेतसपत्र, बडिश, दन्तशंकु, एशणी।
मूल नाडी यंत्र
12
डल्हण - 20
(भगंदर यंत्र, अर्सेयिन्त्र, वणयन्त्र, बस्तियंत्र, उत्तरवस्त्रियंत्र, मूत्रवृद्धियंत्र, दकोदरंयंत्र धूमयंत्र निरुध्दप्रकाशयंत्र । सन्निरूध्दगुदयंत्र, अलाबूयंत्र श्रृङ्गायंत्र)
ऐषणी भेद
चरक - 2,
(मृदु कठिन)
सुश्रुत - 3
(तीक्ष्णवकंटक
यवपत्रमुखी
गण्डूपदाकारमुखी)
अनुशस्त्र संख्या
सुश्रुत - 14,
( त्वक्सारस्फटिककाचकुरुविंदजलोकाडग्निसार नरवगोजीशेफालिका -शाकपत्र करीरबालअंगुलिकी इति)
वाग्भट - 12
संग्रह 14+3
(सूर्यकांत, समुद्रफेन, शुष्कगोमय)
क्षार भेदं
चरक (2) पानीय, प्रतिसारणीय (मृदु मध्य तीक्ष्ण)
सुश्रुत (2) पानीय, प्रतिसारणीय
क्षार गुण
चरक - 10
सुश्रुत - 8
वागभट्ट 10
सु. 8 नातितीक्ष्ण, , नातिमृद्ध, चावल, श्लक्ष्ण, पिच्छिल अविस्यंदी, शिव,शीघ्रा
व 10 = 8 + शिकरी, न चातिरनक “,
चरक 10 तीक्ष्ण उष्ण लघु, रूस, क्लेदी, पाळी, विदारण, दाहन, दीपन, श्खेत ।
क्षार दोष
9 (डा),
सुश्रुत -08
अतिमर्दव अतिश्वेत उष्ण तीक्ष्ण पिछल सर्पित सान्द्रताआपक्वता हीनद्रव्यता ।
अग्निकर्म विधि -
सुश्रुत 4
(वलय,cricle बिन्दु,dot विलेखा,line प्रतिसारण gharsan)
वाग्भट 7 (सुश्रुतोक्त्त + 4 अर्द्धचन्द्र, स्वस्तिक, अष्टापद star )
शल्यकी गतियाँ
सुश्रुत - 5,
अष्टांग संग्रह - 3,
अष्टांग हृदय 5
शल्यगति
सु.05-उर्ध्व,अधो, अर्वाचीन, तिर्यग, ऋजु।
असं ३– उध्र्व,अधो,तिर्यक
ऋतुकाल
चरक व सुश्रुत – 12 दिन (गणना मासिक स्राव के अन्तिम दिन से)
वाग्भट व भा०प्र० – 16 दिन (गणना मासिक स्राव के प्रथम दिन से ही)
मनुस्मृत्ति व विदेह में – 16 दिन
मैथुन निषिद्ध दिन
सुश्रुत - प्रथम तीन दिन एवं 13वीं रात्रि
वाग्भट- प्रथम तीन दिन एवं 11वीं व 13 वीं रात्रि